शुक्रवार, 13 दिसंबर 2019

भोला और चतुर हिंदी कहानी bhola aur chatur bhai ki kahani

भोला और चतुर  



एक गाँव में दो भाई रहते थे। छगन मगन। छगन चालाक था जबकि मगन सीधा साधा और भोला था। माता पिता की मौत के बाद इन दोनों ने फैसला लिया कि एक भाई घर संभाले और दुसरा नौकरी करने बाहर जाए लेकिन कमाने जाए तो कौन जाए काफी सोचने समझने के बाद दोनों ने फैसला लिया कि मगन कमाने जाएगा और छगन घर पर रह कर घर संभाले। मगन घर से निकला, चलते चलते दुसरे गाँव में पहुँच गया।

वहाँ जाकर उसने नौकरी तलाशना शुरू कर दिया। अखिरकार एक सेठ ने उसे काम पर रख लिया। परंतु इस शर्त के साथ कि उसे लगभग एक साल तक नौकरी करनी इस बीच वो नौकरी छोड़ेगा तो उसने जितने दिन काम किया उसकी तनख्वाह नहीं मिलेगी  और अगर सेठ ने उसे नौकरी से निकाला तो वो उसे पुरे साल की तनख्वाह देगा, इसके अलावा उसे खाने में दो रोटी या किसी पेड़ के पत्ते पर जो वो लेकर आएगा उस पर चावल दिए जाएंगे, मगन ने सेठ की शर्त मान ली और खाने में दो रोटी खाना स्वीकार किया।

अब मगन को काम दिया गया उसे एक कुंए पर ले जा कर वहाँ लगी एक पानी की टंकी को कुएं से पानी निकाल निकाल कर भरना बताया। मगन काम में झुट गया। वह कुएं से पानी निकालता और टंकी में डालता रहा दिन भर बिना आराम किये कुएं से पानी खिचता और टंकी में डालता लेकिन टंकी हैं कि भरने का नाम ही नहीं लेती  भोला- भाला मगन चालाक सेठ की करतुत को नहीं जान सका कि टंकी में कुछ गड़बड़ हैं।
दिन बितते गए ऐसा करते करते एक महीना बीत गया। दिन भर मेहनत करने और खाना बराबर नहीं मिलने से वह बहुत कमजोर हो गया । एक दिन उसने सोचा कि ऐसा ही चलता रहा तो वह मर जाएगा ये सोच कर उसने नौकरी छोड़ने का फैसला लिया। शर्त के मुताबिक उसे बिना तनख्वाह दिए नौकरी से निकाल दिया। मगन फिर अपने घर लौट गया। जब छगन ने मगन की ये हालत देखी तो उसने उससे इसका कारण पुछा, तो मगन ने उसे सारी घटना सुना दी। अब छगन ने मगन से उस सेठ का पता लेकर उस गाँव की और चल पड़ा, वह उस सेठ के पास पहुँच कर उससे नौकरी मांगने लगा तो सेठ ने जो शर्त मगन से रखी वही छगन के साथ भी रखी। छगन ने शर्त मान ली और खाने में चावल खाना स्वीकार किया।
छगन को सेठ कुएं पर ले जा कर कहा कि तुम्हें कुएं से पानी निकाल कर इस टंकी को भरना हैं। छगन ने कुएं से पानी निकाल कर टंकी भरना शुरू किया। सुबह से शाम हो गई पर टंकी नहीं भरी, छगन बुद्धिमान था उसने टंकी के अंदर देखा तो दंग रह गया, टंकी के नीचे की तरफ छेद करके पाइप लगाकर पानी खेत में पहुँचाया जा रहा था। उसने सेठ को सबक सिखाने की योजना बना ली। अब रात हो गई तो वह सेठ के घर लौट गया जाते हुए खेत से केले का पत्ता तोड़ कर ले गया। सेठानी ने चावल बनाएं, अब छगन से पत्ता लाने को कहा , छगन ने केले का पत्ता लाकर रख दिया सेठ सेठानी हैरान रह गए । छगन ने भर पेट चावल खाए और सो गया। दुसरे दिन खेत पर जाते ही सबसे पहले टंकी के अंदर छेद में लकड़ी का बड़ा सा टुकड़ा फंसा दिया और कुछ ही देर में टंकी में पानी भर दिया। सेठ ने ये देखा तो चौक गया।

अब उसने छगन को दुसरा काम दिया। उसने छगन को कहा कि वह घर का काम करें और सेठ अपनी दुकान पर चला गया। घर में राशन खत्म हो गया तो सेठानी ने छगन से कहा कि दुकान जाकर सेठजी से कुछ पैसे ले आ, उस वक्त दुकान पर ग्राहकों की काफी भीड़ थी, ऐसे में छगन ने बाहर से ही आवाज लगाई। सेठजी थोड़े रूपये दे दो घर में राशन खत्म हो गया हैं । सेठ को बहुत शर्मिंदा होना पड़ता हैं। रात को सेठ घर आया तो उसने छगन को समझाते हुए कहा कि घर की बात लोगों के सामने नहीं कहते,जब भी सेठानी तुम्हें मेरे पास भेजे तो ग्राहकों के जाने के बाद कोई बात हो तो बताएं। दुसरे दिन सेठ दुकान पर चला गया , अचानक से घर में आग लग जाती हैं । सेठानी छगन से कहती हैं जल्दी जाओ और सेठजी को बुलाकर लाओ । छगन जब दुकान पहुंचता है तो उस वक्त दुकान में ग्राहक होते हैं, छगन को सेठ की बात याद आ गई कि घर की बात सब के सामने नहीं करनी चाहिए। छगन ने ग्राहकों के जाने का इंतजार किया, जब सारे ग्राहक चले गए तब उसने सेठ को बताया कि घर पर आग लग गयी हैं, सेठ ने घर आकर देखा तो सब कुछ जल कर राख हो चुका था। सेठ ने छगन को डाँटते हुए कहा कि तुने मुझे पहले क्यों नहीं बताया, तो छगन बोला आपने ही तो कहा था कि घर की बात सबके सामने नहीं करनी चाहिए, सेठ सिर पकड़ कर बैठ गया ।

 अब सेठ ने छगन को अपने बड़े से खेत पर ले जा कर कहा कि इस खेत में जितनी घास हैं वो काट कर घर ले आए। छगन घास काट कर घर ले आया और सेठानी से पुछा ये घास कहाँ रखूं सेठानी ने कहा बाड़े में खाली जगह देख कर रख दे। छगन ऐसा ही करता गया, वो घास काटकर लाता गया और बाड़े में डालता गया । जब बाड़े में खाली जगह नहीं दिखी तो छगन सेठानी के पास गया और बोला सेठानी जी बाड़े में खाली जगह नहीं हैं अब घास कहाँ रखूं तो सेठानी गुस्से में बोली जगह नहीं हैं तो मेरे सिर पर रख दे। छगन ने घास का बंडल सेठानी के सिर पर रख दिया, घास का बंडल काफी भारी था तो सेठानी की गर्दन में मोंच आ गई , रात को जब सेठ घर लौटा तो सेठानी की हालत देख कर इसका कारण पुछा तो सेठानी ने सारी बात सेठ को बता दी और कहा कि अगर आपने छगन को नहीं निकाला तो वो घर छोड़ कर हमेशा के लिए मायके चली जाएगी। सेठ ने परेशान होकर छगन को निकाल दिया, और छगन ने भी शर्त के मुताबिक पुरे साल की तनख्वाह ली और अपने घर लौट गया। दोस्तों इसी लिए कहा जाता है कि शारीरिक बल से बुद्धि बल श्रेष्ठ होता हैं। आशा करता हूँ कि आपको ये कहानी पसंद आई होगी।

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