रविवार, 31 जनवरी 2021

सौर मण्डल का पाँचवाँ ग्रह ब्रहस्पति ( Jupiter)

बृहस्पति सूर्य से पांचवां ग्रह है और हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है।  यह मुख्य रूप से एक गैस पिंड है जिसका द्रव्यमान सूर्य के एक हजारवें हिस्से के बराबर है और सौर मंडल के अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है।  बृहस्पति को शनि, अरुण और वरुण के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है।  इसे रात में नग्न आंखों से देखा जा सकता है।

  बृहस्पति

  कैसिनी से ली गई बृहस्पति की छवि काले धब्बे यूरोपा का प्रतिबिंब है।

  उपनाम

  विशेषण

  कक्षीय विशेषताएं [1] [२]

  युग J2000 अपसौर 61,65,20,400 किमी
  (5.857107 खेेश) अप्सौर 4,05,73,700 किमी
  (6.505029 Khei) अर्ध-मुख्य अक्ष 7,65,7,200 किमी
  (5.2024.26) विकेंद्रीकरण 0,045 क्रांतियों की अवधि 7,332.59 दिन
  11.18 साल
  10,65.4 बृहस्पति सौर दिवस [3] संयुति काल 396.9 दिन [4] [ए] औसत रोटेशन की गति 13.06 किमी / एस 4 [4] औसत अनियमितता 14.814 ° झुकाव 1.305 ° क्रांति
  सूर्य के भूमध्य रेखा से 4.09 °
  अपरिवर्तनीय सतह से 0.32 ° [5] आरोही शाखा का देशांतर 100.992 ° उपमनद कोण 245.04 ° 79

  भौतिक विशेषताऐं

  मीन त्रिज्या 79, 911 km 7 किमी [6] [7]
  इक्वेटोरियल त्रिज्या 61,292 ial 9 किमी [6] [7]
  11.209 पृथ्वी-ध्रुवीय त्रिज्या 7,656 [10 किमी [6] [7]
  10.016 पृथ्वी की अनुकूलता 0.08 015 0.00015 तल-क्षेत्र 4.1819 × 1010 किमी 42 [7] [8]
  121.4 पृथ्वी पृथ्वी 1.4313 × 1015;  किमी 43 [4] [7]
  1321.3 पृथ्वी द्रविण 1.49 × 1028 किग्रा [4]
  314.7 पृथ्वी
  1/107 सूर्य [9] औसत घनत्व 1.326 g / सेमी 43 [4] [7] भूमध्यरेखीय सतह गुरुत्वाकर्षण 24.94 m / s 2 [4] [7]
  2.527 ग्राम प्रवासन वेग 59.5 किमी / सेकेंड [4] [7] साइडरियल रोटेशन
  अवधि 4.25 घंटे [10] (9 घंटे 55 मिनट 30 सेकंड) भूमध्यरेखीय घूर्णी वेग 12.6 किमी / सेकंड
  85,300 किमी / घंटा अक्षीय अभिवादन 3.13 ° [4] उत्तरी ध्रुव दाईं ओर 24.057 °
  14 घंटे 52 मिनट 14 सेकंड [6] उत्तर ध्रुवनवन 4.79 ° [6] अल्बेडो 0.343 (बॉन्ड)
  0.52 (भू)। [4] सतह का तापमान
  1 बार स्तर
  0.1 बार माध्य 160K [4] 112K [4] सापेक्ष पैमाने -1.4 से -2.49 [4] कोणीय व्यास 29.9 "- 50.1" [4]

  वायुमंडल [4]

  सतह पर दबाव 20-200 किलोग्राम पास्कल [11] (बादल परत) स्केल ऊंचाई 24 किमी 79 विन्यास 79.4 H 2.0% हाइड्रोजन (H2) 10.2% 2.0% हीलियम ~ 0.3% मीथेन ~ 0. 024% अमोनिया ~ 0.003% हाइड्रोजन Deuteride  HD

  ग्रह प्राचीन काल से खगोलविदों द्वारा जाना जाता है [12] और कई संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा था।  रोमन सभ्यता ने इसका नाम अपने देवता बृहस्पति के नाम पर रखा था।  [१३] पृथ्वी से देखे जाने पर, बृहस्पति -2.94 के सापेक्ष त्रिज्या तक पहुँच सकता है, जो छाया डालने के लिए पर्याप्त उज्ज्वल है, [14] जो इसे चंद्रमा और शुक्र बनाते हैं।  उत्तरार्द्ध आकाश में औसत तीसरी सबसे चमकीली वस्तु बनाता है।  (मंगल अपनी कक्षा में कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है)।

  बृहस्पति मुख्य रूप से एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ हाइड्रोजन से बना है और भारी तत्वों के साथ एक चट्टानी कोर हो सकता है।  [१५] बृहस्पति अपने तीव्र घूर्णन के कारण एक सपाट गोलाकार (भूमध्य रेखा के चारों ओर) के आकार का है।  थोड़ा लेकिन ध्यान देने योग्य उभार)।  इसके बाहरी वातावरण में, अलग-अलग अक्षांशों पर कई अलग-अलग दृश्यमान स्ट्रिप्स होते हैं जो अपनी सीमाओं के साथ विभिन्न वातावरणों के परिणामस्वरूप बनते हैं।  बृहस्पति के ब्रह्मांडीय 'ग्रेट रेड स्पॉट' का अस्तित्व, जो कि एक बहुत बड़ा तूफान है, 17 वीं शताब्दी के बाद से जाना जाता है जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था।  ग्रह एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहों की अंगूठी प्रणाली से घिरा हुआ है।  बृहस्पति में कम से कम 79 (2016 तक) चंद्रमा हैं।  इनमें गैलीलियन चंद्रमाओं के रूप में ज्ञात चार सबसे बड़े चंद्रमा शामिल हैं जिन्हें पहली बार 1810 में गैलीलियो गैलीली द्वारा खोजा गया था। गैनीमेडे सबसे बड़ा चंद्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से अधिक है।  यहां चंद्रमा का अर्थ है उपग्रह।

  बृहस्पति को कई अवसरों पर रोबोट अंतरिक्ष यान द्वारा खोजा गया है, विशेष रूप से पहले पायनियर और वायेजर मिशनों के दौरान और बाद में गैलीलियो अंतरिक्ष यान द्वारा।  फरवरी 2007 में, न्यू होराज़ेन प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था।  बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके इस वाहन की गति बढ़ाई गई थी।  संभवतः इस बाहरी ग्रह प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए अगले लक्ष्यों में यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढका तरल महासागर शामिल है।  इसके उपग्रह संख्या 67 हैं।

गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

क्या होगा अगर पृथ्वी सुर्य से बडी़ हो जाए तो kya hoga dharti surya se badi ho jaye to

 दोस्तों इस विशाल ब्रह्मांड में हमारे आवश्यकता से ज्यादा छोटा और बहुत ही कमजोर परंतु हमारे लिए काफी प्यारा ग्रह यानी हमारी पृथ्वी का व्यास है 12742 K.m। वहीं हमारे सुर्य का व्यास इससे कहीं ज्यादा हैं लगभग 1351016 K.m है हमारा सुर्य हमारी पृथ्वी से इतना अधिक बडा़ हैं कि इसके अन्दर 13 लाख पृथ्वीयाँ समा सकती हैं, ये बहुत विशाल है। लेकिन हमारी कल्पना तो इससे भी कहीं ज्यादा बड़ी है। तो आज कल्पना करते है कुछ अलग ही । दोस्तों अगर हमारी पृथ्वी सुर्य से बड़ी हो गई तो क्या होगा।  अगर पृथ्वी सुर्य से बड़ी हो जाए तो सबसे पहले तो सोलर सिस्टम के सारे प्लेनेट की स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी और पृथ्वी की तो बदलेगी ही। वर्तमान में पृथ्वी की स्थिति ऐसी है इसमें हम या फिर बाकी के जीव जन्तु जीवित रह सकते हैं लेकिन जैसे ही पृथ्वी का आकार बदलेगा इस ग्रह से जीवन तुरंत ही समाप्त हो जाएगा सबसे महत्वपुर्ण तो यह है कि जब पृथ्वी इतनी ज्यादा बड़ी होगी तो इसकी ग्रैविटी इतनी ज्यादा हो जाएगी कि एक ही सैकण्ड में हमारी हड्डियांँ टूट जाएगी । अगर पृथ्वी का आकार सुर्य से बड़ा हो गया तो इसकी कौर में नाभिकीय विखण्डन होगा और यह एक बड़ा तारा बन जाएगी विज्ञान के अनुसार जब कोई भी ग्रह जिसका घनत्व ब्रहस्पति के घनत्व से तेरह गुना ज्यादा हो यानी पृथ्वी के लगभग चार हज़ार गुना ज्यादा घनत्व वाला ग्रह अपनी केंद्र में इतनी उष्मा दबाव उत्पन्न कर सकता है की फ्यूजन रिडक्शन हो जाए और फिर वो एक स्टार बन जायेंगा। तो इस घटना के बाद पृथ्वी की उपमा ही बदल जाएगी और तब उसे एक तारा कहा जाएगा लेकिन उसे तारा कहेगा कौन जब इस बार हम इंसान नहीं बचेंगे। तो इसे परग्रही कहेंगे तारा और तब हमारे सोलर सिस्टम में दो तारे होंगे एक सुर्य और एक पृथ्वी और हमारे सोलर सिस्टम को ये लोग बाइनरी स्टार सिस्टम कहेंगे बाइनरी स्टार सिस्टम हमारी आकाशगंगा में काफी ज्यादा है और क्योंकि सुर्य से पृथ्वी बड़ी होगी तो फिर इसकी ग्रैविटी और घनत्व भी सबसे ज्यादा हो जाएगा और सुर्य पृथ्वी का चक्कर लगाने लगेगा एक बदलाव और होगा हमारे सोलर सिस्टम का पूरा ढाचाँ भी बदल जाएगा ज्यादातर ग्रह तब समाप्त हो जाएंगे क्योंकि या तो न उन्हें सूरज या फिर पृथ्वी अपने में मिला लेगी केवल वरूण स
इनका परिभ्रमण कर पाएगा क्योंकि यह हमसे काफी ज्यादा दूरी पर है तो अब हम जानते हैं कि अगर पृथ्वी सबसे ज्यादा बड़ी हो गयी तो इस बार लाइफ नहीं बचेगी लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि पूरे सोलर सिस्टम में कहीं भी जीवन नहीं रह पाएगा अगर बाइनरी स्टार सिस्टम है तो प्लेनेट नहीं बल्कि चाँद पर जीवन होने के ज्यादा संभावना होगी।

शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

क्या होगा अगर सूर्य अचानक से गायब हो जाए तो?


नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं। दोस्तों आप सभी जानते हैं कि हम नीले ग्रह पृथ्वी के निवासी हैं। पृथ्वी, आकाशगंगा Milky wey में मौजूद सौलर प्रणाली का तीसरा ग्रह है, जहाँ जीवन संभव है। हमारी पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने में सुर्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। अगर सूर्य नहीं हो तो पृथ्वी पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती हैं। पर क्या आपने कभी सोचा हैं? अगर सूर्य अचानक से गायब हो जाए तो क्या होगा? 
क्या होगा अगर सुर्य गायब हो जाए तो
Sunrise
चलिए आज मैं आपको बताऊंगा कि अगर सुर्य अचानक से गायब हो जाए तो क्या होगा। दोस्तों सुर्य के  गायब हो जाने की खबर आपको 8 मिनिट 27 सेकण्ड बाद मिलेगी क्योंकि सुर्य का प्रकाश हम तक 8 मिनिट 27 सेकण्ड बाद पहुंचता हैं। जिस हिस्से में रात हैं वो दिन उगने के इंतज़ार में होंगें, पर सुर्य तो गायब हो चुका हैं वो इस बात से अनजान ही हैं। धीरे धीरे तापमान में काफी गिरावट आ जाएगी कुछ घण्टों बाद पानी पीने लायक ही नहीं रहेगा।
Iceland
अंतरिक्ष में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे सेटेलाईट की धीरे धीरे बैटरी डिस्चार्ज होने लग जाएगी जिससे पुरी दुनिया का एक दूसरे से सम्पर्क टुट जाएगा। चंद्रमा और बाकी दुसरे ग्रह उपग्रह भी दिखाई देना बंद हो जाएंगे।
kya hoga surya achanak gayab ho jaye to

 सुर्य के गायब होने के दो दिन बाद इतनी सर्दी बढ़ गयी होगी कि कम्बल भी बेअसर हो जाएगा। कुछ दिन बीत जाने पर तापमान इतना घट जाएगा कि नदियों,झरनों झीलों का पानी बर्फ बन जाएगा, महासागरों में भी उपरी परत बर्फ बन जाएगी।

दुनिया में कई लोग इस भयानक सर्दी के चलते मर गए होंगे। सांइस भी अब इस मुसीबत से बचाने में बेकार पड़ रहा हैं। धीरे धीरे वातावरण से आॅक्सीजन भी नष्ट हो जायेगा। अब तो सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा सुर्य के गायब होने के 15-20 दिनों के बाद  धरती पर लगभग जीवन खत्म सा हो जाएगा। बस कुछ अमीर और वैज्ञानिक बचे होंगे। सुर्य के गायब होने के एक महीने बाद महासागरों का पानी भी पुरी तरह बर्फ बन जाएगा, सारे समुद्री जीव भी मारे जाएंगे अब धरती पर कोई जीव मौजूद नहीं होगा बस चारों ओर जमी हुई बर्फ होगी,और मृत जीवों के शव। अब यह नीला ग्रह एक श्वेत ग्रह  ( White Planet  ) बन चुका होगा ।

तो दोस्तों आपने इस पोस्ट में ये जाना कि अगर हमारा सुर्य गायब हो जाए तो क्या परिणाम होंगे। आशा करता हूँ कि आपको ये जानकारी अच्छी लगी होगी अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को जरुर शेयर करें और साथ ही हमें फोलो करें।