इंटरनेट कैसे काम करता है आप ये लेख पढ रहे हैं या जो वीडियो यूट्यूब पर देखते हैं वह आप तक पहुंचने के लिए गूगल डेटा सेंटर से हजारों मील की दूरी तय करता है आइए जानते हैं इस डेटा की इंक्रेडिबल यात्रा के विवरणों को समझने के लिए इंटरनेट कैसे काम करता है एक डेटा सेंटर जो आपसे हजारों मील दुर होते हुए भी आपके विडियों लेख या चित्र को संग्रहित करता हैं। ये डेटा आपके मोबाइल फ़ोन या लैपटॉप तक कैसे पहुंचता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सेटेलाइट की उपयोगिता को समझते हैं। एक संकेत को डेटा सेंटर से एक एन्टेना के द्वारा सेटेलाइट को भेजा जाता हैं। अब एक संकेत सेटेलाइट से आपके डिवाइस तक एक अन्य एन्टेना से भेजा जाता हैं। हालाँकि संकेतों को ट्रांसमिट करने का ये तरीका एक अच्छा विचार नहीं है आइए देखते हैं क्यों ? सैटेलाइट पृथ्वी के एक्वेटर रेखा से लगभग बाईस हज़ार मील की दूरी पर स्थित हैं इसलिए डेटा ट्रांसमिशन सफल होने के लिए डेटा को कुल चवालीस हज़ार मील की दूरी तय करनी होगी यात्रा की इतनी लंबी दूरी सिगनल प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण देरी का कारण बनती है अधिक विशेष रूप से विशाल विलंबता का कारण बनता है जो अधिकांश इंटरनेट ऐप्लिकेशन के लिए अस्वीकार्य है अगर ये सेटेलाइट के माध्यम से आप तक नहीं पहुंता हैं तो वास्तव में कैसे पहुंचता है। ये आप तक आप्टिकल फाईबर कैबल के जटिल नेटवर्क के जरिए संभव हैं। आपका डिवाइस और डेटा सेंटर आपस में जुडे हुए हैं ये किसी भी सेल्यूलर नेटवर्क या वाईफाई राउटर के माध्यम से इंटरनेट से कनेक्ट किया जा सकता है
लेकिन अंतत कुछ बिंदु पर आपका फ़ोन फाइबर केबल के इस नेटवर्क से जुड़ा होगा हमने देखा कि वर्तमान में आप जो वैबसाइट देख रहे हैं और डेटा सेंटर के अंदर संग्रहित है अधिक विशिष्ट होना ये डेटा सेंटर के मजबुत होने पर निर्भर करता हैं ये एसएससी सर्वर की इंटरनल मेमोरी के रूप में कार्य करता है सर्वर एक शक्तिशाली कंप्यूटर हैं जब आप इसे अनुरोध करते हैं तब आपको ये डेटा सेंटर से डेटा आप तक पहूँचाता है अब चुनौंती ये हैं कि आप्टिकल फाइबर केबल के जटिल नेटवर्क के माध्यम से डेटा सेंटर में संग्रहीत डेटा को विशेष रूप से आपकी डिवाइस में कैसे ट्रांसफर किया जाए आगे बढ़ने से पहले हमें पहले एक महत्वपूर्ण अवधारणा को समझना चाहिए जो एक आईपी एड्रेस की अवधारणा है हर डिवाइस जो इंटरनेट से जुड़ा है चाहे वो सर्वर हो कंप्यूटर हो या मोबाइल फ़ोन आईपी एड्रेस के रूप में ज्ञात संख्याओं की एक स्ट्रिंग द्वारा विशिष्ट रूप से पहचाना जाता है आप अपने घर के पते के सामान आईपी एड्रेस पर विचार कर सकते हैं अर्थात वो एड्रेस जो आपके घर की विशिष्ट पहचान करता है जैसे आपके घर का पता आपको पत्र भेजने वाले के लिए एक उपयोगी होता हैं उसी प्रकार डेटा सेंटर से आपके डिवाइस तक डेटा पहूँचाने में आईपी एड्रेस उपयोगी होता हैं। डेटा सेंटर से डिवाइस तक अनुरोध पाने तथा भेजने के लिए दोनों आईपी एड्रेस का इस्तेमाल करते हैं। जो एक वैबसाइट पर अपलोड होता हैं। और सभी का आईपी एड्रेस भिन्न होता हैं। हालांकि कोई भी व्यक्ति कई सारे आई एड्रेस याद नहीं रख सकता हैं इसलिए एक डोमेन नेम का उपयोग किया जाता हैं ।
जैसे : www.google.com www.jvrknowledgeworld.in
तो दोस्तों आशा करता हूं कि अब आप समझ ही गये होंगे कि ईन्टरनेट कैसे काम करता हैं।
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