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बुढ़िया और बहु हिंदी कहानी budhiya aur bahu ki hindi kahani
बुढ़िया और बहु हिंदी कहानी budhiya aur bahu ki hindi kahani
हिंदी कहानी दुष्टता का अंत
एक गांव में एक बुढ़िया और उसका बेटा रहता था
बेटा बहु और माँ तीनो साथ ही रहा करते थे बुढ़िया का बेटा अपनी माँ को बहुत चाहता था पर ठीक उसके विपरीत बहु उससे घृणा करती थी। बेटे की अनुपस्थिती में वह उस बुढ़िया को बुरा भला कहती थी। समय पर खाना भी नहीं देती थी एक दिन उस बुढ़िया का बेटा व्यापार के उद्देश्य से कुछ दिनों के लिए शहर जाता है। जाते जाते वह अपनी पत्नी को माँ का ख्याल रखने को कह कर जाता है। उस वक्त वह उसकी हां में हां मिला देती है। पर जब उसका पति चला जाता है तब वह उसके साथ बहुत बुरा बर्ताव करती है समय पर भोजन भी नहीं देती और कभी कभी मारपीट करती थी धीरे धीरे बुढ़िया का शरीर बहुत कमजोर हो जाता है। वह बिस्तर से उठ सकने में भी असमर्थ हो जाती है ऐसी स्थिति में वह अपनी सास को जंगल में छोड़ आती है ताकि उसे कोई जंगली जानवर खा जाये दूसरे दिन उसका पति घर लौट आता है वह पति को देख कर विलाप करती है की माँ नदी पर नहाने गयी थी नदी में बह गयी है उसका पति सब बातो से अनजान अपनी पत्नी की बातों पर विश्वास कर लेता है बुढ़िया जंगल में बेसूद पड़ी होती है अचानक वहाँ बारिश होने लगती है जिससे उस बुढ़िया के मुँह में पानी पहुंचता है जिससे उसकी मूर्छा समाप्त हो जाती है वह खिसकते खिसकते आगे बढ़ने लगती है सांयकाल होने तक वह रास्ते तक आ जाती है वहीँ थोड़ी दुरी पर एक शमशान होता है रात को चार चोर चोरी करके वहा से गुजर रहे होते है चोर किसी सेठ साहूकार के यहाँ से चोरी करके आ रहे होते है उनके पास काफी खजाना होता है। वे शमशान से कुछ दुरी पर ही रुक जाते है और खाने पिने की व्यवस्था करने लगते है आज उन्होंने बड़ा हाथ मारा था तो कुछ स्वादिष्ट भोजन तैयार किया बुढ़िया धीरे धीरे खिसकते खिसकते उनके पास पहुंच जाती है चोर उसे भूत समझ कर भाग खड़े होते है बुढ़िया उसमे से खाना खा लेती है खाना मिल जाने से बुढ़िया के हाथों पैरों में जान आ जाती है भोर होते होते बुढ़िया घर तक पहुंच जाती है बेटे को आवाज़ लगाती है की बेटे दरवाजा खोल बेटा बहु ये सुन चौक जाते है बेटा दरवाजा खोलता है तो डर जाता है सामने उसकी माँ खड़ी है हाथों में खजाने के थेले लिए हुए। जिसे उसकी पत्नी ने मरा हुआ बताया था बेटा घबराते हुए पूछता है की ये सब कैसे हुआ तो उसकी माँ उसे सारी घटना बता देती है बेटा बहुत ज्यादा दुखी होता है वह अपनी पत्नी को राजा से अनुरोध कर करावास में भिजवा देता है और सेठ के चोरी हुए खजाने को पुनः लौटा देता है सेठ उसकी ईमानदारी से प्रसन्न होकर उसे कुछ धन इनाम देता है और वह बहुत आमिर हो जाता हैं । माँ और बेटा बड़े सुख से जीवन यापन करते है
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