मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (Multiple Personality Disorder) जिसे आजकल डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर (Dissociative Identity Disorder या DID) कहा जाता है, मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक जटिल और विवादित स्थिति है। यह एक दुर्लभ मानसिक विकार है जिसमें व्यक्ति के मन में एक से अधिक व्यक्तित्व (Personalities) विकसित हो जाते हैं। प्रत्येक व्यक्तित्व में अपने विचार, यादें, और व्यवहार हो सकते हैं, और ये व्यक्तित्व एक-दूसरे से स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकते हैं।
मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर क्या है?
मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (MPD) एक प्रकार का डिसोसिएटिव डिसऑर्डर है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति का मन और चेतना, विभिन्न व्यक्तित्वों में विभाजित हो जाती है। DID में, एक व्यक्ति के भीतर मौजूद अलग-अलग व्यक्तित्व (जिन्हें "अल्टर्स" कहा जाता है) अलग-अलग नाम, आयु, लिंग, रुचियां और यहां तक कि शारीरिक लक्षण (जैसे दृष्टि या आवाज़) तक हो सकते हैं।
यह विकार व्यक्ति के जीवन में भारी मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक चुनौतियां उत्पन्न कर सकता है। DID से पीड़ित व्यक्ति अक्सर अपने अल्टर्स के बीच स्विच करते समय स्मृति दोष, भ्रम और गहरी असहजता का अनुभव करते हैं।
DID के कारण
DID के मुख्य कारण आमतौर पर बचपन में गंभीर आघात, शोषण या उपेक्षा से जुड़े होते हैं। शोध में पाया गया है कि यह विकार उन व्यक्तियों में विकसित हो सकता है जो बचपन में शारीरिक, मानसिक, या यौन दुर्व्यवहार के शिकार हुए हैं। DID के विकास का मूल कारण निम्नलिखित हैं:
1. बाल्यावस्था का गंभीर आघात:
बचपन में शारीरिक, भावनात्मक या यौन शोषण के कारण बच्चे की मानसिक स्थिति असहनीय तनाव और डर का सामना करती है।
2. मानसिक दबाव:
बचपन में अत्यधिक दबाव या उपेक्षा मानसिक असंतुलन का कारण बन सकती है।
3. मनोवैज्ञानिक तंत्र:
DID का एक बड़ा पहलू यह है कि व्यक्ति खुद को दर्दनाक अनुभवों से बचाने के लिए अपनी चेतना को विभाजित कर लेता है। यह एक आत्म-रक्षात्मक प्रणाली के रूप में काम करता है।
लक्षण
DID के लक्षण व्यक्ति और परिस्थिति के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:
1. व्यक्तित्व का विभाजन:
व्यक्ति के भीतर दो या अधिक अलग-अलग व्यक्तित्व या पहचान मौजूद होते हैं। प्रत्येक व्यक्तित्व का अपना दृष्टिकोण और व्यवहार होता है।
2. स्मृति दोष:
व्यक्ति को अक्सर अपने अनुभवों, घटनाओं और कार्यों की याद नहीं रहती।
3. अचानक व्यवहार में परिवर्तन:
व्यक्तित्व स्विच होने पर व्यवहार, रुचियां, भाषा, और यहां तक कि शारीरिक हावभाव भी बदल सकते हैं।
4. डिप्रेशन और चिंता:
DID से ग्रस्त व्यक्ति अक्सर डिप्रेशन, चिंता और आत्महत्या के विचारों से ग्रस्त रहते हैं।
5. आघात से जुड़े फ्लैशबैक:
दर्दनाक अनुभवों की यादें बार-बार उभरती हैं।
6. सोशल और कार्यक्षमता में कमी:
सामाजिक जीवन और पेशेवर जिम्मेदारियों को संभालने में कठिनाई होती है।
DID का निदान
डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का निदान करना आसान नहीं है। इस स्थिति को समझने और इसकी पहचान करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:
1. मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन:
व्यक्ति की मानसिक स्थिति का आकलन किया जाता है, जिसमें उसकी यादें, अनुभव और व्यक्तित्व का अध्ययन किया जाता है।
2. डीएसएम-5 मानदंड:
अमेरिकन साइकियाट्रिक एसोसिएशन द्वारा स्थापित मानदंडों के आधार पर DID का निदान किया जाता है।
3. अन्य स्थितियों को खारिज करना:
निदान से पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यक्ति को सिजोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर या अन्य मानसिक विकार न हों।
इलाज
DID का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन इसे प्रबंधित करने के लिए विभिन्न तरीके मौजूद हैं। उपचार का मुख्य उद्देश्य व्यक्तित्वों के बीच संतुलन स्थापित करना और व्यक्ति को उसके दर्दनाक अनुभवों से उबरने में मदद करना है।
1. साइकोथेरेपी (मनोचिकित्सा):
DID का सबसे आम और प्रभावी उपचार।
इसमें टॉक थेरेपी और कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी शामिल होती हैं।
व्यक्ति को अपने अलग-अलग व्यक्तित्वों को समझने और उन्हें एकीकृत करने में मदद की जाती है।
2. मेडिकेशन (दवाएं):
आमतौर पर DID के लिए विशेष दवा नहीं होती, लेकिन डिप्रेशन और चिंता के लिए एंटीडिप्रेसेंट्स और एंटी-एंग्जायटी मेडिकेशन दी जाती हैं।
3. आघात पर आधारित थेरेपी:
इसमें व्यक्ति को अपने दर्दनाक अनुभवों को समझने और उनसे उबरने में सहायता दी जाती है।
4. समूह चिकित्सा:
अन्य लोगों के साथ अपनी स्थिति साझा करना और उनके अनुभवों से सीखना भी DID से उबरने में मदद कर सकता है।
DID के साथ जीवन
DID के साथ जीवन जीना आसान नहीं है। व्यक्ति को खुद को समझने और समाज में स्वीकार्य महसूस करने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ता है। परिवार और दोस्तों का सहयोग इस स्थिति में बेहद महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, DID से ग्रस्त व्यक्ति को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:
1. समर्थन समूह:
ऐसे समूहों से जुड़ें जहां लोग अपने अनुभव साझा कर सकें।
2. स्वास्थ्य प्रबंधन:
अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
3. तनाव कम करना:
मेडिटेशन, योग और नियमित व्यायाम के माध्यम से तनाव को कम करें।
4. स्वास्थ्य विशेषज्ञ की मदद लें:
DID के विशेषज्ञों से समय-समय पर परामर्श लें।
समाज में DID के प्रति धारणा
DID को लेकर समाज में बहुत सी गलतफहमियां हैं। इसे अक्सर फिल्मों और टीवी कार्यक्रमों में गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है, जिससे लोग इसे मनोरंजन के रूप में देखते हैं। यह विकार वास्तव में बहुत गहरी मानसिक पीड़ा से जुड़ा है। समाज को इस स्थिति के प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए और इससे पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।
निष्कर्ष
मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर या डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर एक जटिल मानसिक स्थिति है जिसे समझने और स्वीकारने के लिए धैर्य और सहानुभूति की आवश्यकता होती है। हालांकि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन सही उपचार, समर्थन और आत्म-जागरूकता के माध्यम से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। यह जरूरी है कि हम इस विकार को केवल एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में न देखें, बल्कि इसे उन लोगों के संघर्ष का प्रतीक मानें, जो अपने अतीत के दर्दनाक अनुभवों के साथ जीने की कोशिश कर रहे हैं।
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