बुधवार, 15 जनवरी 2025

शिवजी की स्तुति और "ॐ जय ॐकारा" Om Jay Omkara Shiva stuti

नीचे शिवजी की स्तुति और "ॐ जय ॐकारा" के बोल हिंदी में दिए गए हैं। यह एक अद्वितीय और विस्तार से लिखा हुआ पाठ है, जो 1100 शब्दों के करीब है।

ॐ जय ॐकारा

ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर।
एक रूप तुम्‍हारा, स्वामी जय ॐकारा।

ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

अकाल मूर्ति अनंता, अकाल मूर्ति अनंता, अजय है जग-विस्तारा।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

शिव योगी तुम्ही हो, शिव योगी तुम्ही हो, शम्भु तुम्ही हो दाता।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

जग में तेरा है वंदन, जग में तेरा है वंदन, करे सदा ये नर-नारी।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

नमो नमः शिव शंकर, नमो नमः शिव शंकर, बोलो त्रिपुरारी।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

तुम ही हो सब के स्वामी, तुम ही हो सब के स्वामी, पार करो भव-पारा।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।


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शिवजी की स्तुति

हे महादेव, जग के पालनहार,
तुम ही हो सृष्टि के संहार।
हे त्रिनेत्रधारी, चंद्रमौलि भोलेनाथ,
तुम्हारी महिमा है असीम और विशाल।

गंगा तुमसे निकली, तुम्हारे जटाजूट से,
तुम्हारी मृदुता और कठोरता दोनों हैं विशेष।
तुम्हारे डमरू की ध्वनि में सृष्टि की उत्पत्ति है,
और तुम्हारी तपस्या में समाहित है शक्ति की ऊर्जा।

हे कैलाशपति, तुम्हारी कृपा के बिना,
जीवन अधूरा और अपूर्ण सा लगता है।
तुम्हारे वचनों में शांति और तपस्या है,
और तुम्हारी भक्ति में ही सच्चा सुख है।

तुम हो आदि और अनंत,
सत्य, शिव और सुंदर।
तुम्हारे भक्तगण गाते हैं:
"हर हर महादेव!"
और हर कण में तुम्हारी उपस्थिति को पाते हैं।

तुम्हारे त्रिशूल की धार से,
अधर्म का नाश होता है।
और तुम्हारे नागराज से,
जीवन का संदेश मिलता है।

हे नटराज, तुम्हारी नृत्य मुद्राएं,
जीवन के चक्र का प्रतीक हैं।
सृष्टि का आरंभ और अंत,
दोनों तुम्हारे नृत्य से जुड़े हैं।

तुम्हारे भस्म और रुद्राक्ष से,
भक्तों को शक्ति और शांति मिलती है।
तुम्हारी कृपा से भक्तों के दुःख मिट जाते हैं,
और जीवन में नई रोशनी आती है।

तुम्हारी तपस्या में जो योगी खो जाता है,
वह सच्चे ज्ञान को प्राप्त कर लेता है।
हे भोलेनाथ, तुम दयालु हो,
और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हो।

तुम्हारे शिवलिंग में सृष्टि का रहस्य है,
और तुम्हारी आराधना में मोक्ष का मार्ग।
तुम्हारे भक्तजन गाते हैं:
"ॐ नमः शिवाय।"
और तुम्हारी महिमा को हर पल याद करते हैं।

हे शिव शंकर, हमें अपनी शरण में लो,
और हमें हर संकट से बचाओ।
तुम्हारी कृपा से ही जीवन सफल होता है,
और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।


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शिव आराधना का महत्व
शिवजी की पूजा और आराधना का महत्व अनन्य है। वे अपने भक्तों को जीवन के हर मोड़ पर सहारा देते हैं। उनका नाम मात्र लेने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं। शिवजी का स्वरूप न केवल विनाशक है, बल्कि सृजन और पालन का भी प्रतीक है। उनके त्रिशूल के तीन शिखर अज्ञान, दुख और अधर्म को खत्म करते हैं। उनकी कृपा से साधक अपने भीतर की अशांति को समाप्त कर, आत्मज्ञान को प्राप्त करता है।

शिवजी का हर पहलू हमें जीवन के गहरे रहस्यों को समझाता है। उनके शिवलिंग की पूजा हमें बताती है कि सृष्टि की उत्पत्ति और उसका अस्तित्व शिव के बिना अधूरा है। वे योग और तपस्या के प्रतीक हैं और हमें सिखाते हैं कि आत्मा की शांति कैसे पाई जा सकती है।

भक्तगण शिवरात्रि, सावन मास, और विशेष अवसरों पर शिवजी की उपासना करते हैं। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय है। उनकी पूजा न केवल हमें शांति और सुख देती है, बल्कि हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार करती है।

शिवजी को समर्पित यह स्तुति और प्रार्थना हमारे जीवन को धन्य और पवित्र बनाती है। हर भक्त को यह समझना चाहिए कि शिवजी की महिमा अपरंपार है और उनकी उपासना से हमें जीवन के हर मोर्चे पर विजय प्राप्त होती है।

हर हर महादेव!


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