गाँव के हरे-भरे मैदान, टेढ़ी-मेढ़ी गलियां, और मिट्टी की खुशबू से सराबोर, यह कहानी है मोहन, श्याम, गोपाल और करण की। ये चारों बचपन के दोस्त थे, जिनका हर दिन एक नई शरारत और रोमांच से भरा होता था।
मोहन थोड़ा शांत और समझदार था। उसे किताबें पढ़ने और पेड़ के नीचे बैठकर सोचने का शौक था।
श्याम हर वक्त शरारतें करने के लिए तैयार रहता। वह गांव का सबसे तेज दौड़ने वाला लड़का था।
गोपाल मेहनती किसान का बेटा था, जिसे अपने खेतों से बेहद लगाव था।
करण सभी का पसंदीदा था, क्योंकि वह हमेशा मुस्कुराता रहता और हर समस्या का हल निकाल लेता।
कहानी की शुरुआत
एक दिन गांव में खबर फैली कि पास के शहर से कुछ लोग आए हैं, जो नदी के किनारे वाली जमीन पर एक फैक्ट्री लगाना चाहते हैं। यह सुनकर गांव के लोग उत्साहित भी थे और डरे हुए भी। उत्साहित इसलिए क्योंकि रोजगार के नए मौके मिलेंगे, और डरे हुए क्योंकि उनकी खेती की जमीन और गांव का पर्यावरण बर्बाद हो सकता था।
चारों दोस्तों ने यह तय किया कि वे इस समस्या को समझने के लिए कुछ करेंगे।
योजना
मोहन ने सुझाव दिया कि पहले हमें समझना होगा कि फैक्ट्री लगाने से क्या फायदे और नुकसान होंगे।
श्याम ने कहा, "चलो उन शहरवालों से सीधे बात करते हैं!"
गोपाल बोला, "मैं अपने पिताजी से पूछूंगा कि अगर खेती की जमीन कम हो जाए तो क्या दिक्कत होगी।"
करण ने हंसते हुए कहा, "सुनो, अगर ये चारों मिलकर काम करेंगे, तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं रहेगी।"
सच्चाई का पता
वे चारों पास के शहर गए और फैक्ट्री मालिकों से मिले। उन्हें पता चला कि फैक्ट्री से धुआं निकलेगा, जो हवा को खराब करेगा, और नदी में केमिकल गिरने से पानी दूषित हो जाएगा।
वापस आकर, गोपाल ने गांव वालों को बताया कि अगर ऐसा हुआ, तो उनकी फसलें खराब हो जाएंगी। मोहन ने अपनी किताबों से उदाहरण दिए कि अन्य गांवों में ऐसा होने पर क्या हुआ। श्याम ने गांव के बच्चों और युवाओं को जुटाकर एक प्रदर्शन की योजना बनाई।
करण की चतुराई
करण ने फैक्ट्री मालिकों से बात की और उन्हें समझाने की कोशिश की कि अगर वे कोई ऐसा उपाय करें, जिससे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे, तो गांव वाले उनका स्वागत करेंगे। उसने उन्हें एक नई तकनीक के बारे में बताया, जो मोहन ने अपनी किताब में पढ़ी थी।
परिणाम
फैक्ट्री मालिकों ने गांव वालों की बात मानी और एक पर्यावरण अनुकूल फैक्ट्री स्थापित की। इससे गांव के लोगों को रोजगार भी मिला और खेती और नदी भी सुरक्षित रही।
चारों दोस्तों की दोस्ती और सूझबूझ ने यह साबित कर दिया कि मिलकर कोई भी समस्या हल की जा सकती है। अब वे पूरे गांव के हीरो बन चुके थे।
गाँव फिर से हंसते-खेलते दिनों की ओर लौट आया। लेकिन अब वह एक जागरूक और सशक्त गांव बन चुका था।
सीख:
जब दोस्ती, समझदारी और एकता का साथ हो, तो हर मुश्किल का हल निकल सकता है।
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