भोला किसान का बेटा और उसकी शादी की मुश्किलें
गाँव के एक कोने में भोला नाम का एक किसान रहता था। भोला बेहद मेहनती और ईमानदार इंसान था। उसका बेटा, गोपाल, ठीक उसी पर गया था—भोला-भाला, सरल, और मेहनत से कभी पीछे न हटने वाला। गोपाल पढ़ाई में तो ठीक-ठाक था, लेकिन उसे खेती-बाड़ी में ज्यादा दिलचस्पी थी। पूरे गाँव में उसकी ईमानदारी और सरल स्वभाव के चर्चे थे।
समय आया जब भोला ने सोचा कि गोपाल की शादी कर दी जाए। उसने रिश्तेदारों और गाँव के बुजुर्गों से सलाह-मशविरा शुरू किया। लेकिन बात इतनी आसान नहीं थी।
मुश्किलें शुरू होती हैं
पहली मुश्किल यह थी कि गोपाल के पास कोई बड़ी संपत्ति या बड़ा घर नहीं था। भोला का सारा ध्यान खेती पर था और वही उनकी आजीविका का साधन थी। जब-जब वह किसी लड़की वालों के घर रिश्ता लेकर जाता, उन्हें यही कहा जाता, "आपका बेटा अच्छा है, लेकिन क्या हमारी बेटी खेती में काम करेगी?"
दूसरी मुश्किल थी गोपाल का भोला स्वभाव। कुछ लोग समझते थे कि वह इतना सीधा-साधा है कि शायद दुनिया की मुश्किलें संभाल न पाए। लोग सोचते, "जमाना बहुत तेज है, और गोपाल तो बहुत मासूम है।"
एक और मुश्किल—दहेज का सवाल
कई घरों में लड़कियों के माता-पिता दहेज की बात छेड़ देते। भोला किसान था, दहेज देने की स्थिति में नहीं था। वह साफ कह देता, "हम आपकी बेटी को खुश रखेंगे, लेकिन दहेज मांगना हमारे उसूलों के खिलाफ है।" यह सुनकर भी कई जगह रिश्ते रुक जाते।
एक अनोखा मोड़
कई महीनों की कोशिशों के बाद भी गोपाल की शादी की बात नहीं बन पाई। यह देखकर गोपाल दुखी रहने लगा। एक दिन गाँव के मेले में उसकी मुलाकात सुजाता नाम की लड़की से हुई। सुजाता पढ़ी-लिखी, लेकिन सरल स्वभाव की थी। वह अपने माता-पिता के साथ मेला देखने आई थी।
गोपाल और सुजाता की बातचीत हुई, और दोनों को लगा कि उनकी सोच और स्वभाव एक-दूसरे से मिलते हैं। सुजाता ने अपने माता-पिता को गोपाल के बारे में बताया। उसके माता-पिता ने जब भोला किसान से मुलाकात की, तो उन्हें उसका ईमानदार और सादगीभरा जीवन पसंद आया।
आखिरकार, खुशी का दिन आया
हालांकि, गाँव के कुछ लोग तरह-तरह की बातें कर रहे थे कि गोपाल के पास ज्यादा कुछ नहीं है, लेकिन सुजाता के माता-पिता ने बिना किसी दहेज के इस शादी को स्वीकार कर लिया। उन्होंने कहा, "हमारी बेटी को एक अच्छा इंसान चाहिए, और गोपाल से बेहतर कौन हो सकता है?"
शादी के दिन पूरा गाँव इकट्ठा हुआ। सबने देखा कि सादगी और ईमानदारी ने किस तरह मुश्किलों को मात दी। गोपाल और सुजाता की जोड़ी मिसाल बन गई कि सुखी जीवन के लिए दौलत नहीं, बल्कि सच्चाई और प्यार चाहिए।
सीख
यह कहानी हमें सिखाती है कि दुनिया चाहे कितनी भी मुश्किल क्यों न करे, अगर इंसान सच्चा और मेहनती है, तो उसके लिए सबकुछ मुमकिन है।
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