एक राजकुमारी थी । वह सुंदर होने के साथ साथ चतुर और बुद्धिमान भी थी। वह उदार स्वभाव की थी तथा गरीबों, पण्डितों और साधु संतों की सेवा भी करती थी। राजा भी अपनी पुत्री से राय लेता रहता था और रानी भी आवश्यकता होने पर राजकुमारी से सलाह लिया करती थी। वह प्रतिदिन दान पुण्य किया करती थी तथा साधु संतों को भोजन कराती थी। राजकुमारी के चर्चे दुर दुर तक फैले हुए थे। हर कोई राजकुमारी के दर्शन पाने की लालसा रखता था। एक बार उस नगर में चार यात्री आए चारों ही विद्धवान पण्डित थे। उन्होंने भी राजकुमारी की बुद्धिमानी और कार्यकुशलता के बारे में सुर रखा था।
उन्होंने राजकुमारी से मिलने की इच्छा की अब पण्डितों ने एक एक करके राजकुमारी से मिलने तथा उससे बात करने की योजना बनाई, पहला पण्डित सामान्य वेशभूषा में वहाँ पहुँचा जहाँ राजकुमारी साधु संतों को भोजन कराती थी वह वहाँ पहुंच कर संतों की पंगत में बैठ गया। जब राजकुमारी की नजर उस पर पड़ी तो राजकुमारी बोली हे महात्मा कृपया अपना परिचय दीजिए आप कौन हैं ? इस वह पण्डित बोला मैं एक यात्री हूं। राजकुमारी बोली कदाचित आप असत्य कह रहे हैं इस संसार में केवल दो ही यात्री हैं तीसरे कौन है। पण्डित लज्जित होकर चला गया और अपने साथियों को सारी घटना सुनाई।
अब दुसरा पण्डित भी सामान्य वेष में राजकुमारी के अन्नक्षेत्र में गया और पंगत में बैठ गया जैसे ही राजकुमारी की नजर उस पर पड़ी तो राजकुमारी ने पुछा हे सज्जन आप कौन हैं। इस पर पण्डित ने अपना परिचय देते हुए कहा मैं एक गरीब व्यक्ति हूँ। राजकुमारी बोली क्षमा करें परंतु आप गरीब कैसे हो सकते हैं इस संसार में तो केवल दो ही गरीब हैं कृपया अपना सही परिचय दीजिए। वह पण्डित आगे कुछ भी नहीं बोल पाया और वहाँ से उठ कर चला गया। उसने आपबीती अपने साथियों को कह सुनाई । अब तीसरा पण्डित भी गया वह भी पंगत में बैठ गया राजकुमारी वहाँ से गुजरी उसकी नजर पण्डित पर पड़ी तो बोली श्रीमान आप कौन हैं संत महात्मा तो आप नहीं लगते, कृपया अपना वास्तविक परिचय दें। तब वह पण्डित बोला मैं एक पुरूष हूँ। इस पर राजकुमारी बोली असत्य ! आप असत्य कह रहे हैं इस संसार में केवल दो ही पुरूष है फिर आप तीसरे कौन है। पण्डित घबरा गया और वहाँ से उठ कर चला गया।
अब चौथा आया और पंगत में बैठ गया राजकुमारी आई और उससे पुछा हे सज्जन आप कौन हैं कृपया अपना परिचय देने का कष्ट करें तो वह पण्डित बोला मैं एक मुर्ख हूँ। राजकुमारी ने जवाब दिया इस संसार में केवल दो ही मूर्ख हैं आप तीसरे कौन हैं ? वह पण्डित भी बिना कुछ बोले चला गया अब चारों पण्डित परेशान हो गए इन सवालों के जवाब अपनी अपनी पोथियों में ढुंढने लगे पर वे इसका जवाब नहीं ढूँढ पाये आखिर उन्होंने राजकुमारी से वापस मिलकर इन सवालों के जवाब जानने की इच्छा की, वे राजकुमारी के पास गए उससे कहा राजकुमारी जी हमने सभी तरह आपके प्रश्नों के उत्तर जानने की कोशिश की मगर हमें सफलता नहीं मिली कृपया करके हमें उन सवालों के उत्तर बताए।
राजकुमारी कुछ कह पाती इससे पहले उस राज्य का सेनापति आकर उन चारों को बंदी बना लेता हैं। वह उन्हें राजा के समक्ष पेश करता हैं और राजा से कहता हैं ! महाराज ये चारों दुसरे राज्य के गुप्तचर है जो हमारे राज्य की निजी जानकारियां पाकर अपने राज्य को पहुंचाने जा रहे थे हमने इसलिए हमने इन्हें बंदी बना लिया। राजा ने बिना सोचे समझे उन्हें सुली पर चढा़ने का आदेश दिया। तभी राजकुमारी आती हैं और राजा से कहती हैं, ठहरिए महाराज ! इन चारों से मैंने कुछ सवाल पुछे थे ये इसका जवाब नहीं ढूँढ पाये इसलिए मैं स्वयं इन्हें उन सवालों के जवाब देना चाहती हूँ। राजा आश्चर्य में पड़ गया और बोला कैसे सवाल तो राजकुमारी ने वे चारों सवाल बताएं राजा भी इन सवालों के जवाब नहीं दे सका, फिर राजकुमारी ने दरबारियों से भी वही सवाल पुछा लेकिन वो भी इसका जवाब नहीं दे सके। राजा की जिज्ञासा बढ़ गई उसने राजकुमारी से उन सवालों के जवाब देने को कहा।
राजकुमारी ने सभा बुलाई जिसमें कई ज्ञानी विद्धवान मौजूद थे अब राजकुमारी ने बताना शुरू किया। सबसे पहला सवाल कि इस संसार में दो यात्री कौनसे हैं तो इसका जवाब हैं सुरज और चंद्र
उन्होंने राजकुमारी से मिलने की इच्छा की अब पण्डितों ने एक एक करके राजकुमारी से मिलने तथा उससे बात करने की योजना बनाई, पहला पण्डित सामान्य वेशभूषा में वहाँ पहुँचा जहाँ राजकुमारी साधु संतों को भोजन कराती थी वह वहाँ पहुंच कर संतों की पंगत में बैठ गया। जब राजकुमारी की नजर उस पर पड़ी तो राजकुमारी बोली हे महात्मा कृपया अपना परिचय दीजिए आप कौन हैं ? इस वह पण्डित बोला मैं एक यात्री हूं। राजकुमारी बोली कदाचित आप असत्य कह रहे हैं इस संसार में केवल दो ही यात्री हैं तीसरे कौन है। पण्डित लज्जित होकर चला गया और अपने साथियों को सारी घटना सुनाई।
अब दुसरा पण्डित भी सामान्य वेष में राजकुमारी के अन्नक्षेत्र में गया और पंगत में बैठ गया जैसे ही राजकुमारी की नजर उस पर पड़ी तो राजकुमारी ने पुछा हे सज्जन आप कौन हैं। इस पर पण्डित ने अपना परिचय देते हुए कहा मैं एक गरीब व्यक्ति हूँ। राजकुमारी बोली क्षमा करें परंतु आप गरीब कैसे हो सकते हैं इस संसार में तो केवल दो ही गरीब हैं कृपया अपना सही परिचय दीजिए। वह पण्डित आगे कुछ भी नहीं बोल पाया और वहाँ से उठ कर चला गया। उसने आपबीती अपने साथियों को कह सुनाई । अब तीसरा पण्डित भी गया वह भी पंगत में बैठ गया राजकुमारी वहाँ से गुजरी उसकी नजर पण्डित पर पड़ी तो बोली श्रीमान आप कौन हैं संत महात्मा तो आप नहीं लगते, कृपया अपना वास्तविक परिचय दें। तब वह पण्डित बोला मैं एक पुरूष हूँ। इस पर राजकुमारी बोली असत्य ! आप असत्य कह रहे हैं इस संसार में केवल दो ही पुरूष है फिर आप तीसरे कौन है। पण्डित घबरा गया और वहाँ से उठ कर चला गया।
अब चौथा आया और पंगत में बैठ गया राजकुमारी आई और उससे पुछा हे सज्जन आप कौन हैं कृपया अपना परिचय देने का कष्ट करें तो वह पण्डित बोला मैं एक मुर्ख हूँ। राजकुमारी ने जवाब दिया इस संसार में केवल दो ही मूर्ख हैं आप तीसरे कौन हैं ? वह पण्डित भी बिना कुछ बोले चला गया अब चारों पण्डित परेशान हो गए इन सवालों के जवाब अपनी अपनी पोथियों में ढुंढने लगे पर वे इसका जवाब नहीं ढूँढ पाये आखिर उन्होंने राजकुमारी से वापस मिलकर इन सवालों के जवाब जानने की इच्छा की, वे राजकुमारी के पास गए उससे कहा राजकुमारी जी हमने सभी तरह आपके प्रश्नों के उत्तर जानने की कोशिश की मगर हमें सफलता नहीं मिली कृपया करके हमें उन सवालों के उत्तर बताए।
राजकुमारी कुछ कह पाती इससे पहले उस राज्य का सेनापति आकर उन चारों को बंदी बना लेता हैं। वह उन्हें राजा के समक्ष पेश करता हैं और राजा से कहता हैं ! महाराज ये चारों दुसरे राज्य के गुप्तचर है जो हमारे राज्य की निजी जानकारियां पाकर अपने राज्य को पहुंचाने जा रहे थे हमने इसलिए हमने इन्हें बंदी बना लिया। राजा ने बिना सोचे समझे उन्हें सुली पर चढा़ने का आदेश दिया। तभी राजकुमारी आती हैं और राजा से कहती हैं, ठहरिए महाराज ! इन चारों से मैंने कुछ सवाल पुछे थे ये इसका जवाब नहीं ढूँढ पाये इसलिए मैं स्वयं इन्हें उन सवालों के जवाब देना चाहती हूँ। राजा आश्चर्य में पड़ गया और बोला कैसे सवाल तो राजकुमारी ने वे चारों सवाल बताएं राजा भी इन सवालों के जवाब नहीं दे सका, फिर राजकुमारी ने दरबारियों से भी वही सवाल पुछा लेकिन वो भी इसका जवाब नहीं दे सके। राजा की जिज्ञासा बढ़ गई उसने राजकुमारी से उन सवालों के जवाब देने को कहा।
राजकुमारी ने सभा बुलाई जिसमें कई ज्ञानी विद्धवान मौजूद थे अब राजकुमारी ने बताना शुरू किया। सबसे पहला सवाल कि इस संसार में दो यात्री कौनसे हैं तो इसका जवाब हैं सुरज और चंद्र
सभी कहा बिल्कुल सत्य।
दुसरा सवाल इस संसार के दो गरीब कौन है तो वो है स्त्री और गाय। सभी एक स्वर में बोल राजकुमारी जी बिल्कुल सत्य है।
फिर तीसरा सवाल कि इस संसार के दो पुरूष कौन है ?
तो इसका जवाब हैं , वास्तव में इस संसार में अब तक केवल दो ही पुरूष हुए हैं वो है कृष्ण और अर्जून। सभी सभासद बोले बिल्कुल ठीक कहा। अब अंतिम सवाल कि इस संसार के दो मूर्ख कौन है तो वो है राजा और उसका सेनापति जो बिना सोचे समझे इन पण्डितों को दुसरे राज्य का गुप्तचर समझकर सुली चढ़ाने जा रहे हैं।
इतना सुनते ही वे चारों पण्डित उस राजकुमारी की जय जय कार करने लग जाते हैं चारों ओर राजकुमारी के जय कारे घूंजने लग जाते हैं। राजा को अपनी गलती का अहसास होता हैं। वह उन चारों पण्डितों को सम्मान के साथ मुक्त कर देता हैं। तो दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको ये कहानी पसंद आई होगी
इतना सुनते ही वे चारों पण्डित उस राजकुमारी की जय जय कार करने लग जाते हैं चारों ओर राजकुमारी के जय कारे घूंजने लग जाते हैं। राजा को अपनी गलती का अहसास होता हैं। वह उन चारों पण्डितों को सम्मान के साथ मुक्त कर देता हैं। तो दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको ये कहानी पसंद आई होगी
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