गुरुवार, 1 अक्टूबर 2020

ईश्वर की सुंदर रचना हैं माँ ( कविता ) kavita ma par

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका इस वेबसाइट पर। दोस्तों आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक छोटी सी कविता, जो की एक माँ पर आधारित हैं।

ईश्वर की सुंदर रचना हैं माँ, 
मेरा तो ईश्वर ही तु माँ ।
त्याग, क्षमा,ममता की मूरत माँ, 
अम्बा, काली, दुर्गा तु माँ।
 उँगली पकड़ कर चलना सिखाया, 
हाथ छोड़कर लड़ना सिखाया। 
ईश्वर की सुंदर रचना हैं माँ, 
मेरा तो ईश्वर ही हैं तु माँ। 
माँ तु वृक्ष छायादार, 
मैं हूँ तेरी ही एक शाख।
तुझसे जुड़ा मेरा जीवन माँ, 
बिन तेरे मृत हूँ मैं माँ। 
तु अनपढ़ ज्ञानी हैं माँ, 
मैं पढा़-लिखा अज्ञानी हूँ माँ। 
सारे रिश्ते-नाते झूठे,
तेरा आँचल ही है सच्चा।
माँ के चरणों में हैं स्वर्ग सा सुख,
माँ के बिन स्वर्ग भी हैं शुन्य। 
तु हैं एक किताब, 
तेरा एक पन्ना हूँ मैं माँ। 
तु पेड़,
तेरा एक पत्ता मैं माँ। 
तु आँसमा,
तेरा एक तारा मैं माँ। 
ईश्वर की सुंदर रचना तु माँ, 
मेरा तो ईश्वर ही तु माँ। 
 
तो दोस्तों आशा करता हूँ कि आपको ये कविता पसंद आई होगी। 

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