शुक्रवार, 17 जनवरी 2025

जा पर कृपा राम की होई Ja Par Kripa Ram ki hoi

जा पर कृपा राम की होई
(रचना: जसवंत सिंह)

जा पर कृपा राम की होई,
ता पर कृपा करें सब कोई।
दुःख मिट जाए, सुख छा जाए,
भवसागर से पार लगाए।

राम का नाम जब जुबां पर आए,
हर संकट पल में मिट जाए।
हरिओम का जाप जो कर ले,
उसके जीवन का अंधेरा हर ले।

जा पर कृपा राम की होई,
वही जग में पूज्य कहाए।
भव बंधन से मुक्त हो जाए,
हर पथ पर विजय वो पाए।

सत्संग में जिसका मन रमता,
भक्ति में जो निशदिन रहता।
वही तो राम का प्रिय कहाए,
संसार में उसका यश छाए।

जा पर कृपा राम की होई,
उसके दुख भी सुख बन जाए।
हर पल हर क्षण राम का सहारा,
उसके जीवन का बने उजियारा।


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रामजी की महिमा

भगवान श्रीराम धर्म, आदर्श और मर्यादा के प्रतीक हैं। उनके जीवन से हमें सत्य, धर्म और कर्तव्य पालन की प्रेरणा मिलती है। रामजी का चरित्र हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी संयम, धैर्य और करुणा बनाए रखना चाहिए। उन्होंने राक्षसों का संहार करके अधर्म का नाश किया और धर्म की स्थापना की।

राम नाम का स्मरण मात्र से भक्तों के पाप धुल जाते हैं और मन शुद्ध हो जाता है। रामजी का जीवन हर युग में आदर्श रहा है। वनवास, सीता की खोज और रावण के वध के दौरान उनके हर कृत्य में सच्चाई और न्याय की झलक मिलती है। उनके चरणों में शरण लेने वाले हर भक्त का उद्धार होता है। रामजी की महिमा का बखान शब्दों में सीमित नहीं हो सकता, क्योंकि उनका व्यक्तित्व और करुणा अनंत हैं।


बुधवार, 15 जनवरी 2025

शिवजी की स्तुति और "ॐ जय ॐकारा" Om Jay Omkara Shiva stuti

नीचे शिवजी की स्तुति और "ॐ जय ॐकारा" के बोल हिंदी में दिए गए हैं। यह एक अद्वितीय और विस्तार से लिखा हुआ पाठ है, जो 1100 शब्दों के करीब है।

ॐ जय ॐकारा

ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर।
एक रूप तुम्‍हारा, स्वामी जय ॐकारा।

ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

अकाल मूर्ति अनंता, अकाल मूर्ति अनंता, अजय है जग-विस्तारा।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

शिव योगी तुम्ही हो, शिव योगी तुम्ही हो, शम्भु तुम्ही हो दाता।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

जग में तेरा है वंदन, जग में तेरा है वंदन, करे सदा ये नर-नारी।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

नमो नमः शिव शंकर, नमो नमः शिव शंकर, बोलो त्रिपुरारी।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।

तुम ही हो सब के स्वामी, तुम ही हो सब के स्वामी, पार करो भव-पारा।
स्वामी जय ॐकारा।
ॐ जय ॐकारा, स्वामी जय ॐकारा।


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शिवजी की स्तुति

हे महादेव, जग के पालनहार,
तुम ही हो सृष्टि के संहार।
हे त्रिनेत्रधारी, चंद्रमौलि भोलेनाथ,
तुम्हारी महिमा है असीम और विशाल।

गंगा तुमसे निकली, तुम्हारे जटाजूट से,
तुम्हारी मृदुता और कठोरता दोनों हैं विशेष।
तुम्हारे डमरू की ध्वनि में सृष्टि की उत्पत्ति है,
और तुम्हारी तपस्या में समाहित है शक्ति की ऊर्जा।

हे कैलाशपति, तुम्हारी कृपा के बिना,
जीवन अधूरा और अपूर्ण सा लगता है।
तुम्हारे वचनों में शांति और तपस्या है,
और तुम्हारी भक्ति में ही सच्चा सुख है।

तुम हो आदि और अनंत,
सत्य, शिव और सुंदर।
तुम्हारे भक्तगण गाते हैं:
"हर हर महादेव!"
और हर कण में तुम्हारी उपस्थिति को पाते हैं।

तुम्हारे त्रिशूल की धार से,
अधर्म का नाश होता है।
और तुम्हारे नागराज से,
जीवन का संदेश मिलता है।

हे नटराज, तुम्हारी नृत्य मुद्राएं,
जीवन के चक्र का प्रतीक हैं।
सृष्टि का आरंभ और अंत,
दोनों तुम्हारे नृत्य से जुड़े हैं।

तुम्हारे भस्म और रुद्राक्ष से,
भक्तों को शक्ति और शांति मिलती है।
तुम्हारी कृपा से भक्तों के दुःख मिट जाते हैं,
और जीवन में नई रोशनी आती है।

तुम्हारी तपस्या में जो योगी खो जाता है,
वह सच्चे ज्ञान को प्राप्त कर लेता है।
हे भोलेनाथ, तुम दयालु हो,
और भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हो।

तुम्हारे शिवलिंग में सृष्टि का रहस्य है,
और तुम्हारी आराधना में मोक्ष का मार्ग।
तुम्हारे भक्तजन गाते हैं:
"ॐ नमः शिवाय।"
और तुम्हारी महिमा को हर पल याद करते हैं।

हे शिव शंकर, हमें अपनी शरण में लो,
और हमें हर संकट से बचाओ।
तुम्हारी कृपा से ही जीवन सफल होता है,
और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।


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शिव आराधना का महत्व
शिवजी की पूजा और आराधना का महत्व अनन्य है। वे अपने भक्तों को जीवन के हर मोड़ पर सहारा देते हैं। उनका नाम मात्र लेने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं। शिवजी का स्वरूप न केवल विनाशक है, बल्कि सृजन और पालन का भी प्रतीक है। उनके त्रिशूल के तीन शिखर अज्ञान, दुख और अधर्म को खत्म करते हैं। उनकी कृपा से साधक अपने भीतर की अशांति को समाप्त कर, आत्मज्ञान को प्राप्त करता है।

शिवजी का हर पहलू हमें जीवन के गहरे रहस्यों को समझाता है। उनके शिवलिंग की पूजा हमें बताती है कि सृष्टि की उत्पत्ति और उसका अस्तित्व शिव के बिना अधूरा है। वे योग और तपस्या के प्रतीक हैं और हमें सिखाते हैं कि आत्मा की शांति कैसे पाई जा सकती है।

भक्तगण शिवरात्रि, सावन मास, और विशेष अवसरों पर शिवजी की उपासना करते हैं। "ॐ नमः शिवाय" मंत्र शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे सरल और प्रभावशाली उपाय है। उनकी पूजा न केवल हमें शांति और सुख देती है, बल्कि हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार करती है।

शिवजी को समर्पित यह स्तुति और प्रार्थना हमारे जीवन को धन्य और पवित्र बनाती है। हर भक्त को यह समझना चाहिए कि शिवजी की महिमा अपरंपार है और उनकी उपासना से हमें जीवन के हर मोर्चे पर विजय प्राप्त होती है।

हर हर महादेव!


रविवार, 5 जनवरी 2025

खजुरिया श्याम (khajuriya-shyam) का धाम: आस्था और विश्वास का प्रतीक

खजुरिया श्याम का धाम: आस्था और विश्वास का प्रतीक
राजस्थान, अपने ऐतिहासिक धरोहरों, सांस्कृतिक परंपराओं और धार्मिक स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है खजुरिया श्याम का धाम, जो भीलवाड़ा जिले के गंगापुर कस्बे से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह धाम न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दराज के श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का एक केंद्र बन चुका है। खजुरिया श्याम का यह स्थान उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो अपने जीवन में सुख-शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए खजुरिया श्याम की शरण में आते हैं।

धाम का इतिहास और महत्व

खजुरिया श्याम के धाम का इतिहास अधिक पुराना तो नहीं है। पर इनकी प्रसिद्घी पिछले दशकों में बढ़ती आई है। इस धाम की स्थापना का कोई निश्चित लिखित प्रमाण नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, यह स्थान कई वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। खजुरिया श्याम, सभी मनोकामना  पूर्ण करने वाले माना जाता है, श्रद्धालुओं के लिए सब दुःख दूर कर सुख शांति देने वाले देव के रूप में पूजनीय हैं।

खजुरिया श्याम धाम की विशेषताएँ

1. दर्शन और पूजा-अर्चना
खजुरिया श्याम का मंदिर नहीं है इनकी एक बड़ी प्रतिमा चबूतरे पर स्थापित हैं  जो अपनी भव्यता और सादगी के लिए प्रसिद्ध है। श्रद्धालु इसके दर्शन मात्र से आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं। हर शनिवार, यहाँ विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।


2. भक्तों की कामनाओं की पूर्ति
ऐसा कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से खजुरिया श्याम के चरणों में अपनी कामनाएँ रखते हैं, उनकी हर इच्छा पूरी होती है। यहाँ आने वाले श्रद्धालु विभिन्न प्रकार के मन्नतें मांगते हैं और उनकी पूर्ति होने पर खजुरिया श्याम के चरणों में विशेष भेंट अर्पित करते हैं।

4. सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान
खजुरिया श्याम का धाम न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ समय-समय पर  सत्संग, और प्रवचनों का आयोजन किया जाता है, जो समाज को नैतिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाते हैं।

यहाँ तक पहुँचने के साधन

खजुरिया श्याम का धाम गंगापुर कस्बे से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। भीलवाड़ा से यहाँ तक आने के लिए बस, टैक्सी और निजी वाहन उपलब्ध हैं। नजदीकी रेलवे स्टेशन भीलवाड़ा है, जो देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

धार्मिक महत्व और आस्था का संदेश

खजुरिया श्याम का धाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह स्थान आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि ये अपने भक्तों के हर दुख और समस्या को दूर करते हैं। इनकी कृपा से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

प्राकृतिक सुंदरता का आकर्षण

धाम के चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता इसे और भी विशेष बनाती है। धाम के आसपास सराए, चबूतरे बने हुए हैं और शुद्ध वातावरण भक्तों को आत्मिक शांति का अनुभव कराता है। यहाँ आकर श्रद्धालु न केवल आध्यात्मिक बल्कि मानसिक और शारीरिक रूप से भी तरोताजा महसूस करते हैं।

धाम की ओर बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या

हर शनिवार को खजुरिया श्याम धाम पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखी जा सकती है। भक्त यहाँ खजुरिया धनी के चरणों में अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं और प्रसाद ग्रहण करते हैं। बढ़ती श्रद्धालुओं की संख्या से यह स्पष्ट होता है कि यह स्थान दिनों-दिन अधिक प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है।

धाम से जुड़ी मान्यताएँ और चमत्कार

खजुरिया श्याम के धाम से कई चमत्कारिक कहानियाँ भी जुड़ी हुई हैं। यहाँ के स्थानीय लोग बताते हैं कि जिन भक्तों ने भगवान श्याम के प्रति अपनी सच्ची भक्ति व्यक्त की, उनकी असंभव समस्याएँ भी हल हो गईं। यह विश्वास ही है, जो हर साल लाखों लोगों को इस पवित्र धाम की ओर आकर्षित करता है।
आध्यात्मिक यात्रा का अनूठा अनुभव

खजुरिया श्याम का धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में भी बेहद खास है। यहाँ आने वाले भक्त अपनी समस्याओं और चिंताओं को इनके चरणों में छोड़ देते हैं और नए उत्साह के साथ अपने जीवन को फिर से शुरू करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

निष्कर्ष

खजुरिया श्याम का धाम उन स्थलों में से एक है, जहाँ आकर श्रद्धालु सच्चे अर्थों में शांति और संतोष का अनुभव करते हैं। यह स्थान न केवल धार्मिक महत्व का केंद्र है, बल्कि यह भक्तों के लिए प्रेरणा और आत्मविश्वास का स्रोत भी है। राजस्थान की इस पवित्र भूमि पर स्थित खजुरिया श्याम का धाम हमें यह संदेश देता है कि सच्ची भक्ति और श्रद्धा से हर समस्या का समाधान संभव है।

यदि आप अपने जीवन में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना कर रहे हैं, तो एक बार खजुरिया श्याम के दर्शन अवश्य करें। यहाँ का माहौल, खजुरिया जी की कृपा और श्रद्धालुओं का विश्वास आपको भी अपने जीवन की समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करेगा।


गुरुवार, 8 जून 2023

क्षेमंकरी माता खीमज माता क्षेमकरि khimajmata

क्षेमंकरी खीमज माता

देवी क्षेमंकरी माता का मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर में से एक है यह मंदिर जालौर के भीनमाल नगर में स्थित है माता का मंदिर एक पहाड़ी पर निर्मित है यहाँ सीढ़िया बनी हुई है  मंदिर तक चढ़ कर जाया जाता है  मंदिर तक पहुंचने  के लिए सड़क भी   बनी हुई है क्षेमंकरी माता को  खीमज माता भी कहा जाता है यह सोलंकी राजपूतों की  कुलदेवी है यहाँ सोलंकी राजपूत ( आसोलिया asoliya ) अपनी कुलदेवी के दर्शन करने आते है यहाँ स्थानीय निवासियों के अलावा प्रदेश भर से भी लोग आते रहते है यह मंदिर  राजस्थान के जालोर जिले के भीनमाल में 24.998°N अक्षांश और 72.239°E देशांतर पर स्थित एक [पहाड़] पर स्थित है । यह सुंधा माता मंदिर से 25 किमी दूर है । यहाँ पर यात्रियों के लिए उत्तम व्यवस्थाएं की गयी है यहाँ ठहरने के लिए सराय धर्मशालाएं आदि बानी हुई है भोजन के लिए भोजनालय बने हुए है खीमज माता की आरती सुबह  6 बजे और साय 7 बजे होती है उस कई श्रद्धालु उपस्थित रहते है माता के दर्शनों उत्तम समय रविवार का दिन होता 

त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी। trikal darshi trilok swami lyrics

आज की इस पोस्ट में हम भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला एक बेहद मधुर एवं चमत्कारी भजन के बोल प्रस्तुत कर रहे है जो की ॐ नमः शिवाय धारावाहिक से लिया गया है

lord shiva


 त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी 

त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी। 

त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक 

त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक।। 


नृत्य गायन कला के स्वामी 

नृत्य गायन कला के स्वामी। 

हे धर्म पालक अधर्म नाशक

 हे धर्म पालक अधर्म नाशक।। 


त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी।


 है चल अचल में छवि तुम्हारी 

है चल अचल में छवि तुम्हारी। 

तुम अात्मा हो परमात्मा हो।। 

सर्वेश तुम हो करुणेश तुम हो। 

हैं भूल हम सब तुम्ही क्षमा हो।। 


त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी 

त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी। 

त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक 

त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक।। 


त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी। 


है चंद्र मस्तक जटा में गंगा 

है चंद्र मस्तक जटा में गंगा। 

है संगी साथी भव्य निशाचर।। 

है कंठ शोभा सर्पों की माला

त्रिशूल कर में कटीव भंबर।। 


त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी 

त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी। 

त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक 

त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक।। 


त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी। 


अजातशत्रु हो मित्र सबके 

अजातशत्रु हो मित्र सबके । 

पवित्रता के अाधार तुम हो। 

मृत्युंजय तुम हो तुम्ही हो अक्षर 

तुम्ही सनातन ओंकार तुम हो।। 


त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी 

त्रिकालदर्शी त्रिलोक स्वामी। 


त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक 

त्रिपुंड धारी त्रयक्ष त्रयंबक।। 


नृत्य गायन कला के स्वामी 

नृत्य गायन कला के स्वामी। 


हे धर्म पालक अधर्म नाशक 

हे धर्म पालक अधर्म नाशक।। 

हे धर्म पालक अधर्म नाशक।।

शिवजी को संहार का देवता कहा जाता है। शिवजी अपने सौम्य मुख और रौद्र रूप दोनों के लिए विख्यात हैं। उन्हें महादेव इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्हें अन्य देवताओं से बढ़कर माना जाता है। शिव सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति और संहार के अधिपति हैं।  वैसे तो शिव का अर्थ कल्याणकारी माना गया है, लेकिन उन्होंने लय और प्रलय दोनों को हमेशा अपने वश में रखा है। रावण, शनि, कश्यप ऋषि आदि उनके भक्त हुए हैं। शिव सभी को समान रूप से देखते हैं, इसलिए उन्हें महादेव कहा जाता है। शिव के कुछ लोकप्रिय नाम महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चंद्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय [मृत्यु पर विजयी], त्र्यंबक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विश्वधर, नीलकंठ, महाशिव, उमापति [पार्वती के पति], काल भैरव हैं। भूतनाथ, त्रिलोचन [तीन आँखों वाला], शशिभूषण आदि।


भगवान शिव को रुद्र के नाम से जाना जाता है। रुद्र का अर्थ है क्रोध का नाश करने वाला अर्थात दुखों को हरने वाला इसलिए भगवान शिव का स्वरूप कल्याणकारी है। रुद्राष्टाध्यायी के पांचवें अध्याय में भगवान शिव के अनेक रूपों का वर्णन किया गया है। रूद्र देवता को अचल, जंगम, सर्वभौतिक रूप, सभी जातियों, मनुष्यों, देवताओं, जानवरों और पौधों के रूप में मानने से यह सबसे अंतरंग भावना और सर्वोत्तम भावना साबित हुई है।


त्रिदेवों में भगवान शिव को संहार का देवता माना जाता है। शिव अनादि हैं और सृष्टि प्रक्रिया के मूल स्रोत हैं और यही काल महाकाल ज्योतिष का आधार है।

जो शिव और राम के बीच के अंतर को जानता है वह कभी भी भगवान शिव या भगवान राम का प्रिय नहीं हो सकता। शुक्ल यजुर्वेद संहिता के अंतर्गत रूद्र अष्टाध्यायी के अनुसार सूर्य, इन्द्र, विराट पुरुष, हरे वृक्ष, अन्न, जल, वायु और मनुष्य के कल्याण के लिए सभी भगवान शिव के रूप हैं। भगवान सूर्य के रूप में भगवान शिव मनुष्य के कर्मों को ध्यान से देखते हैं और उन्हें वैसा ही फल देते हैं। तात्पर्य यह है कि संपूर्ण ब्रह्मांड शिवमय है। मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार फल मिलता है, अर्थात् भगवान शिव स्वस्थ बुद्धि वालों को वर्षा, अन्न, धन, स्वास्थ्य, सुख आदि के रूप में जल प्रदान करते हैं और शिवजी उनके लिए रोग, दु:ख और मृत्यु आदि का भी शासन करते हैं। कमजोर बुद्धि के साथ। 

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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2023

पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा ( pagal soch raha ye lag ka mara soch raha )

भगवान श्री कृष्ण से सुदामा जी मिलने जाते है तब उनकी पत्नी श्री कृष्णा जी के लिए चावल की  पोटली बांध देती है 

सुदामा जी जब श्री कृष्णा जी से मिलते तो वे उनके महल की भव्यता को देख कर और उनके अपार धन धन सम्पदा वैभव को देख सोचते है की  जिसके पास इतना धन वैभव जिसके पास अन्न धन की अपर सम्पदा है उसको मेरे इस चावल के तुच्छ दान से क्या फर्क पड़ने वाला है ऐसा सोच सोच वह लज्जित हुए जा रहे है सुदामा



   त्रिभुवन की जहाँ सम्पदा,अन्न धन के भण्डार

त्रिभुवन की जहाँ सम्पदा,अन्न धन के भण्डार

वहाँ स्थान कहाँ पाएंगे मेरे चावल चार  

पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा 

नारायण का वास जहाँ, जहाँ लक्ष्मी का धाम 

वहाँ सुदामा दीन के तंदुल का क्या काम 

पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा 

क्या सोचेंगी रानियाँ, क्या बोलेंगे दास

क्या सोचेंगी रानियाँ, क्या बोलेंगे दास

सहना होगा दीन को किस किस उपहास 

पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा 


pagla soch raha

निर्माता: रामानंद सागर/सुभाष सागर/प्रेण सागर

निर्देशक: रामानंद सागर / आनंद सागर / मोती सागर

मुख्य सहायक निर्देशक: योगी योगिन्दर

सहायक निर्देशक: राजेंद्र शुक्ला / श्रीधर जेट्टी / ज्योति सागर

पटकथा और संवाद: रामानंद सागर

कैमरा: अविनाश सतोस्कर

संगीत: रवींद्र जैन

गीतकार: रवींद्र जैन

पार्श्व गायक: सुरेश वाडकर / हेमलता / रवींद्र जैन / अरविंदर सिंह / सुशील

संपादक: गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर मिश्रा / सहदेव

बुधवार, 17 अगस्त 2022

हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa

 हनुमान चालीसा अवधी में लिखी गई एक काव्य कृति है, जिसमें भगवान श्री राम के एक महान भक्त हनुमान जी के गुणों और कार्यों का चालीस चौगुनी वर्णन किया गया है। यह बहुत ही छोटी रचना है जिसमें पवनपुत्र श्री हनुमान जी की सुन्दर स्तुति की गई है। इसमें बजरंगबली बाबा की भावपूर्ण वंदना ही नहीं भगवान श्री राम के व्यक्तित्व को भी सरल शब्दों में उकेरा गया है। चालीसा शब्द का अर्थ है 'चालीस' (40) क्योंकि इस भजन में 40 श्लोक हैं (परिचय के 2 दोहे छोड़कर)। हनुमान चालीसा उनके भक्तों द्वारा भगवान हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए की जाने वाली प्रार्थना है जिसमें 40 पंक्तियाँ हैं इसलिए इस प्रार्थना को हनुमान चालीसा कहा जाता है। यह हनुमान चालीसा तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई है जो बहुत शक्तिशाली मानी जाती है।

hanuman chalisa


इसके लेखक गोस्वामी तुलसीदास हैं।


हालांकि यह पूरे भारत में लोकप्रिय है, लेकिन विशेष रूप से उत्तर भारत में यह बहुत प्रसिद्ध और लोकप्रिय है। लगभग सभी हिंदुओं के पास यह दिल से है। सनातन धर्म में हनुमान जी को वीरता, भक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। शिव के रुद्रावतार माने जाने वाले हनुमान जी को बजरंगबली, पवनपुत्र, मारुति नंदन, केसरी नंदन, महावीर आदि नामों से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी अमर हैं। प्रतिदिन हनुमान जी का स्मरण और उनके मंत्रों का जाप करने से मनुष्य के सारे भय दूर हो जाते हैं। कहते हैं हनुमान चालीसा के पाठ से भय दूर होता है, क्लेश दूर होते हैं. इसके गम्भीर भावों पर विचार करने से श्रेष्ठ ज्ञान से मन में भक्ति जागृत होती है।

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार।।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥१॥
महाबीर विक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा ॥२॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन ॥३॥
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया ॥४॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
बिकट रूप धरि लंक जरावा
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे ॥५॥
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई ॥६॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ॥७॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥८॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फ़ल जानू ॥९॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥१०॥
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहू को डरना ॥११॥
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक ते काँपै
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ॥१२॥
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥१३॥
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा
और मनोरथ जो कोई लावै
सोइ अमित जीवन फल पावै ॥१४॥
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे ॥१५॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता
राम रसायन तुम्हरे पासा
सादर हे रघुपति के दासा ॥१६॥
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥१७॥
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥१८॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई ॥१९॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥२०॥


दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

मंगलवार, 1 जून 2021

तुलसी विवाह की कथा Tulsi Ki Katha

तुलसी विवाह Tulsi Ki Katha 
कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी दीपावली के 11 दिन बाद आती है। देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का पर्व भी मनाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के साथ इसी तिथि को होता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की नींद के बाद जागते हैं। चार महीने के अंतराल के बाद इस तारीख से हिंदुओं में शादियां शुरू हो जाती हैं। तुलसी विवाह के दिन व्रत रखने का बहुत महत्व है.

तुलसी विवाह की कहानी
प्राचीन काल में जालंधर नाम के एक राक्षस ने चारों ओर जबरदस्त हंगामा किया था। वह बहुत वीर और पराक्रमी था। उनकी वीरता का रहस्य उनकी पत्नी वृंदा का सदाचारी धर्म था। उसी के प्रभाव में वह विजयी रहा। जालंधर की गड़बड़ी से भक्त, देवता भगवान विष्णु के पास गए और सुरक्षा का अनुरोध किया। उनकी प्रार्थना सुनकर, भगवान विष्णु ने वृंदा के पुण्य धर्म को भंग करने का फैसला किया। उसने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा को छल से छुआ। वृंदा का पति जालंधर देवताओं से पराक्रम से लड़ रहा था, लेकिन वृंदा के मारते ही उसकी पवित्रता नष्ट हो गई। वृंदा की साधुता भंग होते ही जालंधर का सिर उनके आंगन में गिर पड़ा। जब वृंदा ने यह देखा, तो वह क्रोधित हो गया और जानना चाहता था कि वह कौन है जिसने उसे छुआ था। सामने विष्णु खड़े थे। उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया, "जिस प्रकार तुमने छल से मेरे साथ विश्वासघात किया है, उसी प्रकार तुम्हारी पत्नी का भी छल से अपहरण होगा और तुम भी स्त्रियों के वियोग को सहने के लिए मृत्युलोक में जन्मोगे।" इतना कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई। वृंदा के श्राप के कारण भगवान श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उन्हें सीता का वियोग सहना पड़ा था। तुलसी के पौधे का जन्म उस स्थान पर हुआ था जहां वृंदा सती थी।
एक अन्य कहानी में शुरुआत भी कुछ ऐसी ही है, लेकिन इस कहानी में वृंदा ने विष्णु जी को श्राप दिया, "तूने मेरी पवित्रता भंग की है। इस पत्थर को शालिग्राम कहा जाता था। विष्णु ने कहा, "हे वृंदा! मैं आपकी पवित्रता का सम्मान करता हूं लेकिन आप हमेशा तुलसी के रूप में मेरे साथ रहेंगे। जो व्यक्ति कार्तिक एकादशी के दिन मुझसे विवाह करेगा, उसकी हर मनोकामना पूरी होगी।" तुलसी के बिना शालिग्राम या विष्णु की पूजा अधूरी मानी जाती है। शालिग्राम और तुलसी के विवाह को भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का प्रतीकात्मक विवाह माना जाता है।

पूजा करने के तरीके
तुलसी विवाह के दौरान तुलसी के पौधे के साथ विष्णु की एक मूर्ति भी स्थापित की जाती है। तुलसी के पौधे और विष्णु की मूर्ति को पीले वस्त्रों से सजाया जाता है। इसके बाद तुलसी के बर्तन को गेरू से सजाया जाता है। मटके के चारों ओर एक विवाह मंडप बनाया गया है। इसके बाद बर्तन को कपड़े से सजाया जाता है और लाल चूड़ी पहनकर और बिंदी आदि लगाकर सजाया जाता है। इसके साथ टीका लगाने के लिए तुलसी के सामने दक्षिणा के रूप में नारियल रखा जाता है। भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी की सात बार परिक्रमा की जाती है। इसके बाद आरती की जाती है। इसी के साथ विवाह संपन्न होता है। लोग शादी के समय ओम तुलसी नमः का जाप करते रहते हैं। जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं वे इस दिन भोजन नहीं करते हैं।

शनिवार, 24 अप्रैल 2021

मैं तो राम ही राम पुकारू Me To Ram Hi Ram Pukaru

 
me to ram hi ram pukaru lyrics

श्री राम जय जय राम श्री राम जय जय राम मैं तो राम ही राम पुकारू राम नहीं मोरी सुध लीनी मैं कब से राह निहारु

 बटेऊ जाने वाले श्री राम प्रभु के रखवाले तू राम नाम का रस पीले तन मन की प्यास बुझा ले 

कपि के कानों में पड़ा राम नाम श्री राम उत्तरे हनुमत जान कर राम भक्त का धाम 
संवाद

मेघनाथ ने शक्ति मारी है तेरा नाम बड़ा दुखारी है होंओ.....  तुझे एक वेद ने पटाया है तू संजीवनी लेने आया है

किथे से आवे किथे को जावे किथे से आवे किथे को जावे बाबा ने शब डेरा रे 

जानू है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे जानू है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे 

यही भगवान की आज्ञा है तू आज यहीं विश्राम करे तू क्यों चिंता करता है जो करना है सो राम करे

जो करना है सो राम करें 

राम लखन के जीवन में कभी होगा नहीं अंधेरा रे जानू है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे

जानू है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे

तुझे भूख प्यास नहीं लागे मैं ऐसा मंत्र बता दूंगा तुझे जिस पर्वत पर जाना मैं पल भर में पहुंचा दूंगा  

स्नान ध्यान करके तू आजा स्नान ध्यान करके तू आजा है बनालू तोहे चेरा रे

जानु है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे जानू है बड़ी दूर बटेऊ करले रेन बसेरा रे 

श्री राम जय जय राम श्री राम जय जय राम मैं तो राम ही राम पुकारू राम नहीं सुधरी नी में कब से राह निहारू

Ramayana

bateu jane wale jano hai badi dur bateu lyrics